
मेरे भैया ने एक कविता पापा पर लिखी वो ये है ---
उंगली पकड़ कर जिसने चलना सिखाया था ,
सिखाया था जिसने चुनोतियों को स्वीकार करना
जिसने हमारे विचारों को इतना दृढ बनाया
और दिशा दी कैसे आत्मविश्वास से भरना
हे परमपिता उस पिता के स्नेह की छांव
हर जनम में प्रदान करना
Nice tribute.....
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