मंगलवार, 2 अप्रैल 2013

एक साल होने को आ रहा है पापा को गए हुए ,जब भी बेटी बचाओ आन्दोलन देखती हूँ तो बचपन से ले कर अब तक की सारी बात याद आती है हम तीन बहन एक भाई है परन्तु कभी भी ऐसा महसूस नहीं हुआ की भाई को कोई विशेष प्यार मिल रहा हो और हम को कम, हम बहनों के जन्मदिन भी उतनी धूमधाम से मनाया जाता जैसा भाई का, एक किस्सा याद कर हंसी आती है मेरा जन्दीन ३०जुन को आता है और उस समय ३०जुन तक छुट्टी रहती थी और १ जुलाई से स्कूल खुलते थे मेरा जन्मदिन छुट्टी के दिन पड़ता था और सारे दोस्त बहर रहते थे मेरी जिद देख कर पापा ने कहा की तुम किसी भी दिन अपने दोस्तों को बुला लो और मेने ९अगस्त को अपना जन्मदिवस मनाना शुरू कर दिया और जब तक स्कूल में रही सरे दोस्तों को बुला कर बड़े उत्साह से जन्मदिन की पार्टी मानती रही आज भी ऐसे लोग है जो अपनी बेटियों के जन्मदिन नहीं मानते और पापा तीन बेटियां होने पर भी मेरी ख़ुशी के लिए कई साल अलग दिन भी पार्टी करते रहे .पापा ने कार चलाना भी पहले हम बहनों को सिखाया .कई रिश्तेदार इस बात पर नाराज रहते थे की पापा अपनी बेटियों को बहुत महत्व देते है पर पापा ने कभी परवाह नहीं की ऐसे कई अवसर आये जब लोगों ने उनका विरोध किया पर पापा ने हमेशा अपने बच्चों का साथ दिया मेने एल एल बी करने के बाद जब कोर्ट जाना चाहा तब पापा ने मेरा साथ दिया कई लोग घर पर ही नाराजगी जताने आ गए की लड़की को कोर्ट भेजोगे तो शादी में मुश्किल आयेगी पर पापा ने अपना फैसला नहीं बदला और मेरा साथ दिया .जब मेने जज बनने के लिए एक्साम देना चाहा तब उन्होंने मेरा पूरा साथ दिया लिखित परीक्षा पास करने के बाद साक्षात्कार के बीच लोगो की बाते सुन सुन कर हिम्मत जबाब देने लगी थी एक दिन डरते डरते मेने पापा से कहा की पापा सब कहते है बिना पैसे दिए या अप्रोच किये चयन होना मुश्किल है तब पापा ने बोला की दरो मत बेटी हमारी अप्रोच सीधे भगवानसे है तुम्हारा चयन होना निश्चित है और हुआ भी यही की मेरा चयन हुआ और बहुत अच्छे नम्बरों से हुआ .

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