पापा की सोच बहुत ही आशावादी थी एक बार छोटी बहन की चप्पल मंदिर से चोरी चली गयी हम दोनों बहुत दुखी हो गए की घर पर क्या कहेंगे डरते डरते जब घर पर बताया तब पापा ने हम दोनों को कहा की बस अब तुम्हारे सारे दुःख भगवन ने चोरी कर लिए मतलब दूर कर दिए अब सब अच्छा ही होगा और हुआ भी ऐसा ही छोटी बहन इंडियन टेलिकॉम सर्विस में चयनित हो गयी .बड़ी से बड़ी मुसीबत में भी पापा यही कहते की इशवर इच्छा से सब ठीक ही होगा .अपनी बेटियों पर पापा बहुत भरोसा करते थे मुझे याद है जब हमारा ट्रांसफर उमरिया से मंडला हुआ तब गर्ल्स कॉलेज में हिस्ट्री सब्जेक्ट नहीं था इसलिए मुझे ले कर पापा दूसरे कॉलेज गए वहां पता लगा की आर्ट्स में कोई लड़की नहीं है और करीब अस्सी नब्बे लड़के है मेरा तो डर के मारे दम ही निकल गया पर पापा ने प्रिंसिपल से कहा की मेरी बेटी बहुत बहादुर है वो जरूर पढेगी और मेरा एडमिशन करवा दिया और रोज मेरी हिम्मत बढ़ाते रहे इस कारण ही मै उस कॉलेज में तीन साल तक पढ़ सकी और उस अकेले पढने का असर ये हुआ की जिंदगी में बड़े से बड़े शहर यहाँ तक की लन्दन तक अकेले जाने की हिम्मत कर ली काश सब लड़कियों को ऐसे ही पापा मिलते तो हमारे भारत की तस्वीर ही कुछ और होती
Unka ashirwad hamesha tumhare sath h tabhi to tum ek achhi judge ho.....
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