बुधवार, 3 अप्रैल 2013




मेरे भैया ने एक कविता पापा पर लिखी वो ये है ---
उंगली पकड़ कर जिसने चलना सिखाया था ,
सिखाया था जिसने चुनोतियों को स्वीकार करना
जिसने हमारे विचारों को इतना दृढ बनाया
और दिशा दी कैसे आत्मविश्वास से भरना
हे परमपिता उस पिता के स्नेह की छांव
हर जनम में प्रदान करना

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