मंगलवार, 16 अप्रैल 2013


एक बात पापा की बहुत अच्छी थी की वो हम बच्चों को बहुत कम डाँटते थे मुझे याद है जब हम चारों भाई बहन लड़ाई करने के बाद उनके पास शिकायत करने जाते थे तब वो कहते थे की एक के बाद एक अपनी बात कहो सबसे छोटी बहन पहले शुरू करती थी जब हम में से कोई बीच में बोलने की कोशिश करे तब पापा कहते थे की जब तुम्हारा नंबर आएगा तब कहना और जब तक हमारा नंबर आता तब तक सबका गुस्सा शांत हो चूका रहता और किसी दुसरे विषय पर बात चलने लगती थी पापा जज थे और कोर्ट में यही तरीका अपनाया जाता है दो एडवोकेट्स की लड़ाई रोकने के लिए की पहले एक अपनी बात पूरी करे फिर दुसरे की बात शुरू हो जिससे वादविवाद की नौबत नहीं आती ,उनकी ये बात मेरे काम करने में बहुत मददगार है .मेरी कोर्ट में वादविवाद बहुत कम होता है .

2 टिप्‍पणियां:

  1. Dear Rajni you have a great talent for writing We (me & my parents) always admired your father's attitude and views Only yesterday I remembered him Divya purchased Mercedej & Aditya is getting BMW I was so delighted on the achievement Your father was always proud of you people I have the same feeling I would love to read your future stories Carry on .

    जवाब देंहटाएं
  2. Thank you so much bhai sahab The encouraging words of elder members of family always inspire to write more! Hope you read my story in grahshobha magazine(september 1st & 2nd),waiting for your feedback .

    जवाब देंहटाएं