आज मम्मी से बात करते हुए एक किस्सा याद आ गया जब पापा कि पोस्टिंग गुना में थी तब एक प्यून था जिसको कुछ बीमारी हो गयी पापा ने सिविल सर्जन से उसका हाल पुछा तब उन्होंने बताया कि इसका ऑप्रेशन करना पड़ेगा एक गाँठ है इसके हाथ में जो केन्सर भी हो सकता है पर ये डर रहा है तब पापा ने उसको समझाया कि जल्दी ऑप्रेशन क्यूँ नहीं करवा लेते तब वो बहुत दुखी हो कर बताया कि साहब मेरा कोई घर का यहाँ नहीं है मुझे डर लगता है तब पापा उसको बोले कि अरे हम तो है डरने कि क्या बात पर वो फिर भी नहीं माना बोला कि आप हॉस्पिटल में थोड़े रहोगे मै अकेला ऑप्रेशन नहीं करवा सकता तब पापा ने उसको दिलासा दी कि घबराओ नहीं हम तुम्हारे ऑप्रेशन के समय तुम्हारे साथ रहेंगे फिर पापा ने डॉक्टर से बोल कर उसका ऑप्रेशन फिक्स करवा दिया और उसको ले कर हॉस्पिटल भर्ती करवाया और जब ऑप्रेशन हुआ तब डॉक्टर साहब ने ऐसा इंतजाम किया कि वो पापा को देख सके पापा पूरे ऑप्रेशन के समय वहाँ रहे पापा के कारण सारा हॉस्प्ताल उसकी विशेष देखभाल करता रहा फिर जब तक वो भर्ती रहा पापा रोज उसको सुबह शाम देखने जाते थे डॉक्टर साहब ने भी पापा को बोला कि आपके कारण साधारण मरीज को विशेष मरीज का दर्जा मिल रहा है ,ऐसे थे पापा .जब हमारा ट्रांसफर हुआ तब वो प्यून बहुत रोया .आज कल के दौर में जब साहब और प्यून का व्यवहार देखती हूँ तब बड़ी हैरानी होती है कि इतनी बड़ी पोस्ट पर होने के बाद भी पापा अपने प्यून के लिए हॉस्पिटल में खड़े रहे क्यूंकि वो जानते थे कि यदि वो नहीं रहेंगे तो वो कभी इलाज नहीं कराएगा .