सोमवार, 26 अगस्त 2013

पापा ने हम लोगों को कभी भी बाध्य  नहीं किया कि जबरन कुछ करो मेरे  ग्यारहवीं क्लास के बाद पापा का ट्रांसफर इंदौर से उमरिया हो गया था छोटा शहर होने के कारन उमरिया में कॉलेज में साइंस विषय नहीं था तय ये हुआ कि मैं और मेरा भाई जबलपुर में रह कर पढेंगे मेरा दाखिला जबलपुर में कॉलेज में करवा दिया गया पर पन्द्रह दिन में ही मैं घबरा गयी क्यूंकि दादाजी बहुत सख्त स्वभाव के थे और पापा ने कभी कोई बंधन हम लोगों पर नहीं लगाया था पन्द्रह दिन बाद पापा मम्मी हमसे मिलने जबलपुर आये तब मैंने पापा से रो रो कर साथ ले चलने को कहा मम्मी और दीदी ने बहुत समझाया कि साइंस वहां नहीं मिलेगा विषय बदलने में तुमको परेशानी होगी पर पापा ने कहा कि जब इसकी इच्छा यहाँ रहने कि नहीं है तब क्यूं इसको मजबूर कर रहे हो तुरंत मेरा नाम जबलपुर के कॉलेज से कटवा कर अपने साथ ले गए और उमरिया में मैंने बी ए  में दाखिला ले लिया मम्मी नाराज होती रही कि दादा दादी के साथ रह कर उनकी सेवा करनी थी पर पापा ने सिर्फ मेरी बात मानी.जब एल एल बी के बाद मैंने कोर्ट जाना चाहा तब भी रिश्तेदारों कि परवाह न करते हुए मुझे वकील के रूप में काम करने दिया फिर नौकरी में आने पर भी मेरी इच्छा के विरुध्ध कभी शादी के लिए मजबूर नहीं किया .एक किस्सा याद आता है एक बहुत ही समीप के रिश्तेदार कि बहन को देखने कुछ लोग आये थे तब उन्होंने पापा मम्मी को भी बुलाया लड़के वाले अच्छे थे पर लड़का नहीं आया था .परिवार वाले जल्दी में थे कि जब सब बात जम रही है तो शगुन  कर दिया जाये पर लड़की राजी नहीं थी कि लड़के को देखे बिना कैसे हाँ करे जब उन लोगों ने पापा को कहा कि भाई साहब आपकी क्या राय है शगुन कर दे क्या तब पापा ने कहा कि देखिये विवाह आपकी बहन का होना है उसकी राय ज्यादा जरूरी है जब वो मना कर रही है तो आप बाकि लोगों कि राय मत लीजिये और बहन कि बात मानिये क्यूंकि वो पढ़ी लिखी और नौकरी करती है अपना भला बुरा सोच सकती है ,मम्मी ने और बाकि लोगों ने पापा को बहुत समझाया कि आप लड़की का साथ मत दो उनके घर का मामला है जैसा उनको ठीक लगे करने दो पर पापा ने अपनी बात जारी रखी और लड़की ने भी पापा का साथ पा कर अपने भाइयों को मना कर दिया कि जबरदस्ती न करे जब लड़के वाले चले गए तब माहोल कुछ भारी सा हो गया सब लोग लड़की को समझाने लगे कि उसकी उम्र ज्यादा हो गयी है इतना घमंड नहीं करना चाहिए ,तभी हमारी एक मौसी ने कहा " जीजाजी (पापा के लिए ) कि बहुत बुरी आदत है हमेशा दूसरों को सलाह देते रहते है इतना अच्छा रिश्ता निकल गया" तब पापा ने कहा कि" जैसे मैं अपनी लड़कियों से उनकी राय लेता हूँ वैसे ही मैंने सलाह दी कि पहले लड़की से पूछो "
वो लड़की भी बोल उठी" इसलिए तो आपकी लड़कियां इतनी अच्छी पोजीशन में है और बहुत खुश है"
बाद में उस लड़की कि शादी भी बहुत अच्छे लड़के से उसकी पसंद करने के बाद हुई .आज भी वो यही कहती है कि यदि आपके पापा ने मेरा साथ न दिया होता  तो पता नहीं मैं क्या करती