गुरुवार, 2 मई 2013


मेरा बेटे को जब तकलीफ होती है तब मै परेशान होती हूँ परन्तु फिर पापा की याद आती है जब ऐश्वर्य होने वाला था तब डॉक्टर ने मुझको सीढ़ी चड़ने से मना कर दिया परन्तु उस समय हमारे पास दो ही बेड थे और बेडरूम ऊपर था ,बेड फिक्स थे जिनको नीचे लाना मुश्किल था , पापा उस समय मेरे पास ही थे वो हमको रोज कहते थे की दो बेड ले आओ और नीचे के रूम मै लगा लो ऊपर के रूम मै मत जाओ पर हम लोग आलस के कारण रोज टाल रहे थे और मै ऊपर के रूम मै ही चली जाती थी फिर पापा बिलासपुर से वापस जबलपुर चले गए जाने के दुसरे दिन ही फ़ोन आया की पापा बस से फिर बिलासपुर आ रहे है हम लोग सोच मै पड़ गए की इतनी जल्दी पापा वापस क्यूं आ रहे है जब पापा घर पहुचे तब देखा की पापा जबलपुर के घर मै रखे पुराने बेड बस से ले कर आ गए बोले की मुझे पता है तुम लोग व्यस्त रहते हो बाजार जाने का समय भी नहीं है इसलिए मै ही जबलपुर से बेड ले आया अब नीचे के रूम में रहा करो ऊपर के रूम में जाना एकदम बंद करो क्यूंकि डॉक्टर ने तुमको मना किया है मेरे तो आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे हम लोग इस उम्र में बाजार तक जाने में आलस कर रहे थे और पापा ६५ की उम्र में बिलासपुर से जबलपुर गए रात भर का सफ़र करने के बाद भी तुरंत बिना आराम किये बस वाले से बात करके बेड ले कर दुसरे दिन ही बिलासपुर पहुच गए वो भी सिर्फ इसलिए की मुझे तकलीफ ना हो इतना बेटियों का इतना ख्याल रखने वाले पापा बहुत कम होते है